सोमवार, 1 अप्रैल 2013

बिल्हौर की नयी तस्वीरे



मकनपुर मोड़ के करीब बनी कोतवाली  बिल्हौर की नयी इमारत अब खंडहर हो चुकी है वहां अब दरवाजे खिड़की सब चोर ले जा चुके हैं। फ्रंट पर कई लोगों ने कब्जे कर लिये है।




गुम्बद नुमा एक तस्वीर बीआरडी इंटर कालेज में पीछे बिल्हौर की आदर्श धरोहरों में एक है जबकि दूरसी संस्कृत महाविद्यालय की है





 
अगर आप बिल्हौर के वांशिदे हैं तो इन चेहरों को  आप भली प्रकार से जानते होगे। ये वो चेहरे है जो अपकी खुशियों मेंशरीक रहते है आपकी दृष्टि में इनका जो भी ख्याल हो लेकिन ये चेहरे सदैव सबकी खुशी चाहने वाले हैं। ये चेहरे होली के पूर्व दुकानो से नेग के दौरान ली गई हैं।
बिल्हौर का स्वराज आश्रम और क्षेत्राधिकारी का आवास मार्ग

 रजिस्ट्री कार्यालय तहसील परिसर बिल्हौर
बिल्हौर की जीटी पर स्थित एक मस्जिद


और गोल गप्पे के शौकीन लोगों के लिये झांसी से आकर रहे कुछ नवयुवकों ने कस्बे में व्यापार कर रखा है उनकी दुकान



 यह इस ब्लाग से सबसे पुरानी व स्पेशल फोटो है ये बिल्हौर इंटर कालेज के शिक्षकों के सन् 1963 में खींची गई फोटो है। जिनमें से बहुत से अब दूर जा चुके हैं।


Rahul Tripathi
9305029350

मंगलवार, 12 मार्च 2013

बिल्हौर के महत्वपूर्ण स्थान Bilhaur the important place

Regional Development Office bilhau
नगर पालिका बिल्हौर
Municipality bilhaur
तहसील बिल्हौर
Kotwali bilhaur
तहसील बिल्हौर
Kotwali bilhaur
Kotwali bilhaur
Kotwali bilhaur
Kotwali bilhaur
Kotwali bilhaur
Kotwali bilhaur
Kotwali bilhaur
Kotwali bilhaur
कोतवाली बिल्हौर
Bilhaur Bar Association
Bilhaur Bar Association
बिल्हौर बार एशोसिएशन



                                                                                    
Children Memorial Public School Azad Nagar bilhaur
Children Memorial Public School Azad Nagar bilhaur
Children Memorial Public School Azad Nagar bilhaur
Children Memorial Public School Azad Nagar4 bilhaur
चिल्ड्रेन मेमोरियल पब्लिक स्कूल आजाद नगर बिल्हौर
Children Memorial Public School Azad Nagar bilhaur

गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

मोटी पगार के लालच में पत्रकारों ने अपने ही मालिकों को कोसा

मोटी पगार के लालच में पत्रकारों ने अपने ही मालिकों को कोसा
* यूपी सरकार से की हस्तक्षेप की मांग
*आसपास जिलों के इक्कादुक्का संवादसूत्र पहुचे
*लालच का पुलिन्दा ज्ञापन कैबिनेट मंत्री को सौंपा

ग्रामीण पत्रकार को स्टाफर की तरह मोटी पगार मिले। संपादक जैसी सुविधायें मिले। गाड़ी मिले, घर मिले तरह तरह के भत्ते मिले। संवादसूत्र और संवाददाता के काम से ही पूरा मीडिया हाउस चलता है वो ही पत्रकारिता के असली लड़ाकू हैं लेकिन अखबारों के मालिक मोटी रकम खुद रखकर जमीन से जुडे़ ऐसे जुझारू लोगों को कुछ नही देते, यदि उनके साथ ऐसा ही होता रहा तो भारत से पत्रकारिता का नाश हो जायेगा और न जाने क्या-क्या कहा नासमझ पत्रकारों ने कहा। जिन्हें पत्रकारिता की जानकारी थी वो तो बोले ही वो भी खूब चिल्लाये जिनका लेखनी से कोई लेना देना तक नही थी। 
खैर पूरा माजरा कानपुर नगर की बिल्हौर तहसील में चल रहे मकनपुर मेले का है। गुरुवार  21 फरवरी दोपहर का 12 बजने को था एक पत्रकार मित्र ने कॉल की और कहा पत्रकार सम्मेलन है मकनपुर मेले में जल्दी आ जाओ। मैं यह सोचकर की शायद कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा सम्मेलन स्थल पर पहॅुचा। वहां पर कई कार्यरत पत्रकारों के परिवार बाल बच्चों मॉ-बहनों संग पहले से ही डटे थे। सही भी है मेला है तो जाना ही चाहिये फ्री का भौकाल भी टाइट हो जायेगा। इसके बाद बहुत से खुद को नगर का प्रतिष्ठित संवादाता/ब्यूरोचीफ/जिला संवाददाता/मुख्य प्रतिनिधि कहने वाले बारी-बारी से सामने आने लगे। कोई बैनर लगा रहा था तो कोई मोबाइल पर अतिथियों की लोकेशन ले रहा था।
पूरा कार्यक्रम अस्थायी मकनपुर तहसील परिसर में था परिसर में तम्बू कनात में फिल्मी गाने पर दर्जनों वर्दीधारी आनंदित हो रहे थे। मेले के आयोजक छपासे थे इसलिये अखबारों वालों को चाटे डाल रहे थे। वकील भी सक्रिय थे तो किसानी राजनीति करने वाले भी बुलाये गये थे। तथाकथित पत्रकार सम्मेलन में अच्छे बुरे सब सीना ताने थे। कन्नौज  प्रेस क्लब के कई सदस्य भी बुलावे में आये थे।
ऐतिहासिक जिंदा शाह मदार की सरजमीं पर पत्रकारों ने अपनी पीड़ा को सार्वजनिक करने के लिये तथाकथित पत्रकार सम्मेलन में मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश श्रम संविदा बोर्ड के अध्यक्ष सतीश दीक्षित को आमंत्रित किया था।
एक बात बोलूं पत्र से जुड़े लोगों को महात्मा गांधी समेत अनेकों महापुरुष स्वयं सेवक कहते थे ये पेशा पग पग पर बलिदान मांगता है चाहे बालगंगाधर तिलक हो या विद्यार्थी जी, इनमें जज्बा था  कलम के प्रति पर आजादी पा गयेलालच आ गया पैसा, रुतबा और हनक  मानों पत्रकारिता का आधार बन चुकी है। पत्र से जुड़े लोगों के खयालात बदल चुके हैं 60 बरस बाद लालच की लत लग चुकी है उनके तेबर बगावती हो चुके है।
उसी की एक बानगी झलकी बिल्हौर के मकनपुर मेला में। अपनी मांगों को लेकर कई क्षेत्रीय और पड़ोसी जिलों के प्रेस क्लबों के सदस्य गरजे, किसी ने बसों, रेल, होटलों में फ्री सुविधा की मांग की और वाहवाही लूटने के चक्कर में कईयों ने तो अपने मीडिया हाउस के मालिकों को भी नही बख्सा। हद तो तब हो गई जब एक पत्रकार बंधु ने सभी पत्र के पेशे से जुडे़ लोगों को रिवाल्वर मिलने के मांग उठा दी। सच बताऊ गुस्सा भी आयी बुरा भी लगा
 खैर कई बुजुर्ग पत्रकारों की कई बातें जायज थी, पर मेरी नजर में पूरा तरीका गलत था। अपनी बिरादरी के बातों को जगजाहिर करना मूर्खता ही कहलाती है। अगर परिवारिक सदस्य नही सुनते तो विरादरी में एकजुटता बनानी चाहिये। एकता है नही चले है युद्ध करने।
पत्रकार सम्मेलन के जितने भी आयोजक थे उनकी कोई कुछ भी मंशा समझे पर मेरी नजर में उन सभी में व्यक्तिगत लाभ लेने की होड़ थी। संचालकों में कुछ एक को छोड़ दें तो सभी किसी न किसी राजनैतिक पार्टी से संबंधित हैं और पूर्व में कई तरह से सरकारी और गैरसरकारी ढंग से क्षेत्र में लाभ कामते रहे हैं। ये सब मौका परख कर बार करते हैं लाभ लेने के लिये अपने मित्रों ही नही पितामाह को भी नहीं छोड़ते।
मैं पूरे आयोजन का माजरा नही समझ पा रहा था तभी मुख्य अतिथि जी ने पूरा पर्दाफाश कर दिया। उन्होंने सम्मेलन का संचालन कर रहे बिल्हौर से सहारा अखबार के संवाददाता को कहा आप ने लालच को ओढनी     ओढकर अपने आह्वन में मुझे बड़ा भाई बोल दिया जबकि मैं रिश्ते में तुम्हारा मामा हूं मुख्य अतिथि चूकि मंझे हुयी पत्रकारिता के माहिर लगे उन्होंने सख्त हिदायत दी की पत्रकारिता मिशन है कोई व्यापारिक पेशा नही। उन्होंने पत्रकार होने के नाते सभी जायज मांगों को सूबे के मुखिया तक पहॅुचाने की बात कही है। थोड़ी बहुत शेरों शायरी की। पत्रकारों और तथाकथित पत्रकारों संग फोटी खिचायी और सम्मेलन का संचालन कर रहे संवादाता के संग लाल बत्ती में बिल्हौर शायद उनके घर चले गये।  अब देखना यह होगा आखिर भला किसका होने वाला है ?
हॉ एक सबसे हैरान करने वाली बात मैं यहां और बताना चाहता हूं कि पत्रकार सम्मेलन मंच का संचालन बिल्हौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष कर रहे थे मुख्य वक्ताओं ने कई बार इसको दोहराया। प्रेस क्लब वो भी बिल्हौर में कम से कम मुझे नही मालूम था न  कभी चर्चा में बात आई। जबकि बकरी बंदर मरने की खबर कानों में बिना पड़े नही जाती। मैं पत्रकारिता मिशन से जुड़ा हूं और बिल्हौर मेरा गृह नगर भी है मुझे नही मालूम चला। खैर मुझे क्या कोई व्यक्तिगत लाभ के लिये कुछ भी बना ले।
यहां एक बात का उल्लेख करना बेहद जरुरी है की बिल्हौर में बहुत से ऐसे लोग है जिन्होंने कलम के बल पर खूब चांदी काटी है और लाखों लाख की संपति बनायी है। किसी ने व्यापारिक भूमि कब्जाई, किसी ने नगर पालिका में टेण्डर हासिल किये, कोई नेताओं के मतलब की खबर छापने पर शहर में प्लाट लेता है और न जाने क्या क्या। हॉ बिल्हौर क्षेत्र  में कई ऐसे तथाकथित पेशेवर खुद को पत्रकार बताने वाले हैं जो प्राइमरी में जाकर शिक्षिकाओं से वसूली करते है और गैस एजेन्सी से कलम की हनक पर  सिलेण्डर लेकर ब्लैक करते है।

            इतना बहुत था, फिर भीख मांगने की क्या जरुरत थी मेरे पत्रकार मित्रों।


‘‘ किसी पर कीचड़ उछालना मेरा पेशा नही, हकीकत से है बस मतलब।           
     कुत्ता भी कुत्ता को नही काटता, मुझे थी क्या जरूरत ।।’’
पहली फोटो- जिंदा शाह मदार प्रागंढ की
दूसरी फोटो- मदार साहब के मजार का  असली चित्र
तीसरी फोटो- मुख्य अतिथि सतीश जी दीक्षित को पगड़ी बांधते मेला कर्मी
चौथी पांचवी- मकनपुर तहसील में होता तथाकथित पत्रकार सम्मेलन

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Rahul  Tripathi
9305029350 


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बिल्हौर के मकनपुर मेले हुयी तथाकथित पत्रकार सम्मेलन में तीन अखबारों अमर उजाला, हिन्दुस्तान और राष्ट्रीय सहारा में प्रकाशित खबरें। जबकि दैनिक जागरण में कुछ प्रकाशित ही नही हुआ। बाकी कोई अखबार नगर में मिलते नही। गौर से पढ़े कौन कितना लालची है और कितनी बेवाकी से पत्रकारिता कर रहा है समझ आ जायेगा।